हृदय रोगी स्‍वाइन फ्लू से बचें

02/08/2010 13:27
हृदय रोगी स्‍वाइन फ्लू से बचें
हृदय रोगी स्‍वाइन फ्लू से बचें
 
  


नई दिल्ली। 
बरसात के आगमन के साथ ही स्वाइन फ्लू अथवा एच1एन1 के प्रकोप में वृद्धि होने की आशंका के मद्देनजर हृदय रोग विशेषज्ञों ने दिल के मरीजों को खास एहतियात बरतने की सलाह दी है क्योंकि स्वाइन फ्लू के संक्रमण से दिल के दौरे की आशंका बढ़ती है। 

देश भर में 16 सौ से अधिक लोगों को मौत का ग्रास बनाने वाले स्वाइन फ्लू के विषाणुओं के बरसात के आगमन के साथ अधिक तेजी से फैलने की आशंका बढ़ गयी है। पिछले कई महीनों के दौरान स्वाइन फ्लू का प्रकोप बिल्कुल कम हो गया था, लेकिन कुछ समय से इसके प्रकोप में तेजी देखी जा रही है।

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गत सप्ताह देश भर में स्वाइन फ्लू के 345 मामले आये तथा 17 मरीजों की मौत हुई। हालांकि स्‍वाइन फ्लू ने अपना पूरा असर नहीं दिखाया है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि बरसात के बढ़ने के साथ इस संक्रमण का प्रकोप बढ़ सकता है। 

सुप्रसिद्ध हृदय चिकित्सक एवं मेट्रो हास्पिटल्स एंड हार्ट इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. पुरुषोत्तम लाल का कहना है कि जब कोई व्यक्ति स्वाइन फ्लू से ग्रस्त होता है तब शरीर में रक्त की जरुरत बढ़ जाती है जिसके कारण हृदय पर दबाव बढ़ जाता है। अगर हृदय पहले से ही रोग ग्रस्त है हो या कमजोर हो तो हृदय पद बढ़ा हुआ दबाव दिल के दौरे का कारण बन सकता है। 

मेडिसन विशेषज्ञ डॉ राकेश कुमार का कहना है कि हालांकि स्वाइन फ्लू सभी लोगों के लिये खतरनाक है लेकिन गंभीर बीमारियों के मरीजों के लिए स्वाइन फ्लू अधिक खतरनाक साबित होता है क्योंकि उनकी रोग प्रतिरक्षण प्रणाली एवं शरीर के अनय अंग पहले से ही कमजोर होते हैं।

स्वाइन फ्लू का टीका भारत में बनकर तैयार   

डॉ. पुरुषोत्तम लाल ने 'यूनीवार्ता' को बताया कि स्वाइन फ्लू हृदय वाहिका प्रणाली पर अधिक दबाव डालता है। स्वाइन फ्लू होने पर मरीज को सांस में दिक्कत होती है, रक्त चाप में बदलाव आता है और दिल की धड़कन बढ़ जाती है। स्वाइन फ्लू का हृदय पर सीधा असर डालता है और इसलिए जो लोग पहले से हृदय के मरीज होते हैं उनके लिए यह बीमारी अधिक खतरनाक साबित हो सकती है। ऐसे में दिल के मरीजों को पहले से ही स्वाइन फ्लू के टीके ले लेने चाहिए तथा किसी तरह की दिक्कत होने पर तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। 

गौरतलब है कि स्वाइन फ्लू की रोकथाम की दिशा में एक महत्वपूर्ण कामयाबी के तौर पर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा विकसित स्वाइन फ्लू के स्वदेशी टीके को बाजार में उतारा गया। इस टीके को परिक्षणों में सुरक्षित पाया गया है और इसे तीन साल से अधिक उम्र के बच्चे से लेकर हर व्यक्ति को दिया जा सकता है।

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देश में स्वाइन फ्लू के बढ़ते मामलों के मद्देनजर इसी सप्ताह कैबिनेट सचिव की ओर से बुलाई गयी स्वास्थ्य विशेषज्ञों एवं अधिकारियों की बैठक में स्वाइन फ्लू के संभावित प्रकोप से निबटने की रणनीति पर विचार किया गया। 

विशेषज्ञों का कहना है कि बरसात के दिनों में सामान्य फ्लू का प्रकोप ज्यादा होता है और ऐसे में कई बार स्वाइन फ्लू को भी सामान्य फ्लू समझ कर इलाज किया जाता है क्योंकि दोनों तरह के संक्रमणों के लक्षण एक ही तरह के होते हैं और ऐसे में मरीज तथा चिकित्सक को विशेष सावधान रहने की जरुरत है। जिन मरीजों को स्वाइन फ्लू होने की आशंका हो उन्हें टैमीफ्लू लेना चाहिए।
 

 


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