स्‍वाइन फ्लू या चिकित्‍सा घोटाला !

02/08/2010 13:14

 

 

 

 

नई दिल्‍ली: यह सच है कि स्‍वाइन फ्लू ने सारी दुनिया को आतंकित किया है, लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि शायद वह इतना खतरनाक न रहा हो और महज कुछ बड़ी दवा कंपनियों द्वारा फैलाया गया एक जाल हो। यह बात भी जगजाहिर है कि चिकित्‍सा की दुनिया काफी मुनाफे की दुनिया है। हथियारों के बाद शायद सबसे ज्‍यादा मुनाफा दवाओं के ब्रिकी से ही विकसित देशों की बहुराष्‍ट्रीय कंपनियां कमाती हैं। कहीं स्‍वाइन फ्लू का खौफ इन्‍हीं बहुराष्‍ट्रीय कंपनी का ही तो नहीं है, ताकि ज्‍यादा से ज्‍यादा मुनाफा बटोर सकें।

हाल ही में डेनमार्क के दैनिक 'इन्‍फार्मेशन' तथा ब्रिटिश अखबार 'डेली मेल' के मुताबिक स्‍वाइन फ्लू का आतंक फैलाने में विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के टीका(वैक्‍सीन) बोर्ड के कई सदस्‍यों का हाथ है,जिनके दवाई बनाने वाली बड़ी कंपनियों से नजदीकी संबंध है। इनमें से प्रोफेसर जुहानी एस्‍कोला,जो विशेषज्ञों के रणनीतिक समूह के सदस्‍य हैं,ने पिछले साल अपने टीका अनुसंधान कार्यक्रम के लिए लगभग 63 लाख यूरो जो कि इंडियन करेंसी लगभग 42 करोड़ होती है बेहद मोटी कमाई, उस कंपनी से कमाई की जिसने स्‍वाइन फ्लू के टीके से कमाई की हो।

गौर करने वाली बात यह भी है कि विशेषज्ञों के इस समूह के सलाह पर ही यह तय होता है कि किस देश को कितने टीके खरीदने चाहिए। कहा तो यह भी जा रहा है कि दवा कंपनियों ने अपने लोगों को डब्‍लूएचओ में तैनात करवाया और पिछले साल जून में इसे महामारी घोषित करवा दिया गया। काउंसिल ऑफ यूरोप के स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के प्रमुख डॉक्‍टर वोल्‍फगांग वोडार्ग के मुताबिक स्‍वाइन फ्लू इतना जानलेवा रोग नहीं जितना इसका हौवा ख्‍ाड़ा किया गया। उन्‍होनें तो इसे सदी का सबसे बड़ा 'चिकित्‍सा घोटाला' कहा है।
                
स्वाइन फ्लू को लेकर बेचैनी इतनी बढ़ी कि लोग इंटरनेट पर स्वाइन फ्लू की दवा टैमीफ्लू ध्‍ाड़ाधड़ ख़रीदने लगे। ब्रितानी फार्मास्युटिकल सोसाइटी के डेविड प्रुस का कहना है कि इंटरनेट पर टैमीफ्लू की दवाओं के विज्ञापनों की संख्या नपुंसकता दूर करने वाली गोली वियाग्रा से भी आगे बढ़ गई।
 

भारत में अभी तक इस बीमारी से मरने वालों की संख्‍या करीब 1082 बताई जा रही है, लेकिन इस बीमारी का आतंक इससे कई गुणा ज्‍यादा है। इस मामले में‍ विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की संदिग्‍ध भूमिका की जांच होनी चाहिए। साथ ही बहुराष्‍ट्रीय कंपनियां मुनाफे के लिए क्‍या- क्‍या रास्‍ता अख्तियार करती है, सरकार इसका खुलासा करें और इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। 


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