गर्भवती स्त्रियों को स्वाइन फ्लू होने की संभावना चार गुना अधिक

02/08/2010 13:23

 

गर्भवती स्त्रियों को स्वाइन फ्लू होने की संभावना चार गुना अधिक

नई दिल्ली। गर्भवती महिलाओं को स्‍वाइन फ्लू का अधिक जोखिम होता है। कई अनुसंधान बताते हैं की सामान्य स्वस्थ्य लोगों के मुकाबले गर्भवती महिलाओं को ज्यादा गम्भीर नतीजे झेलने पड़ते हैं। जो स्त्रियां मां बनने वाली हैं उन्हें स्वाइन फ्लू की दूसरी लहर से बचाने के लिए रैड अल्र्ट जारी कर दिया गया है। गर्भावस्था के दौरान स्वाइन फ्लू होना मां और अजन्मे बच्चे दोनों के लिए जानलेवा हो सकता है।
प्रासविक एवं स्त्री रोग सम्बंधी समितियों के भारतीय संघ (फेडरेशन ऑफ ऑब्‍सटेट्रिक एंड गाइनोकोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया) ने गर्भवती महिलाओं हेतु विशेष निर्देश जारी किए हैं ताकि उन्हें स्वाइन फ्लू से बचाया जा सके और बढ़ते मामलों को रोका जा सके। इस संघ के अध्यक्ष डॉ. संजय अनन्त गुप्ते के अनुसार बीते कुछ समय के दौरान गर्भवती महिलाओं में स्वाइन फ्लू के मामलों में इजाफा देखा गया है।
विश्व स्वास्थ्य संघ ने रपट दी है की अस्‍पतालों में स्वाइन फ्लू के चलते भर्ती होने वाले मरीजों में 7 से 10 प्रतिशत संख्या गर्भवती औरतों की है जो अपनी गर्भावस्था की दूसरी या तीसरी तिमाही में हैं। हाल ही में लैनसैट नामक एक मैडिकल जरनल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक अगर किसी गर्भवती महिला को स्वाइन फ्लू हो जाए तो उसे जो जटिलाएं होती हैं वह स्वाइन फ्लू के अन्य रोगियों के मुकाबले चार गुना अधिक होती हैं।

गर्भवती स्त्रियों को ज्यादा जोखिम क्यों 
* गर्भावस्था में इम्यून सिस्टम कुदरती तौर पर कमजोर पड़ जाता है, इसलिए उन्हें स्वाइन फ्लू होने और जटिलताएं पनपने का ज्यादा जोखिम होता है। 
* चूंकि दूसरी व तीसरी तिमाही में गर्भ काफी बढ़ जाता है तो फेफड़ों को फैलने के लिए कम जगह मिलती है। फेफड़ों की कार्यात्मकता धीमी पड़ने की वजह से वायु में मौजूद रोगाणुओं से लड़ने की उनकी क्षमता कम हो जाती है। कई गर्भवती महिलाओं को सांस लेने में तकलीफ होती है, लेकिन इस हालत में स्वाइन फ्लू स्थिति को और बिगाड़ देता है। 

विशेश सावधानियां
* हाथों को धोएं, गैर जरुरी यात्रा न करें, जब तक जरुरी न हो अस्‍पताल से दूर रहें।
* जो लोग बीमार हैं या जिनमें लक्षण प्रकट हो रहे हैं वे मास्क पहनें।
* खांसने वाले व्यक्ति से 3 से 6 फीट की दूरी बनाए रखें।
* साफ सफाई बनाए रखें।
* अगर आपको लगता है की आपको स्वाइन फ्लू हो सकता है तो अपने डॉक्टर से जांच कराएं।
* जन्म से पहले बच्चे के विकास पर निगाह रखने के लिए नियमित तौर पर डॉक्टर से मिले, स्वाइन फ्लू होने पर भी ऐसा करना आवश्यक है। 
* आमतौर पर गर्भवती स्त्रियों को टैमीफ्लू नहीं दी जाती, विशेशज्ञों का कहना है की अजन्मे बच्चे पर इसके असर के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
* यदि गर्भवती स्त्री में स्वाइन फ्लू जैसे लक्षण उभरें तो उसे पैरासीटामोल आधारित सदीZ जुकाम की दवा लेनी चाहिए जैसे की क्रोसिन, जो कि बुखार आदि लक्षणों का उपचार करती है। पैरासीटामोल माता व बच्चे दोनों के लिए सुरक्षित है। 
* गर्भावस्था के दौरान नॉन-स्टिरॉयडल ऐंटी-इंफ्लेमेट्री दवाएं बिल्कुल नहीं दी जानी चाहिए, चाहे स्वाइन फ्लू के लक्षण हों या न हों।

स्वाइन फ्लू की रोकथाम
स्वाइन फ्लू से रोकथाम में तीन बातें अहम हैं- 
* बार बार अपने हाथों को धोते रहें। कम से कम 20 सेकेंड तक अपने हाथों पर साबुन पानी लगाकर रगड़ें। ऐल्कोहल आधारित हैण्ड क्लीनर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
* जब भी आप छींकें या खांसें तो एक टिश्यू से अपने मुंह व नाक को ढकें। अगर तुरन्त टिश्यू न हो तो अपनी बांह का इस्तेमाल करें।
* जो बीमार हैं उनसे दूर रहें। और अगर आप बीमार हैं तो ठीक होने तक घर पर ही रहें। ताकि रोगाणु और न फैल सकें।

 

 


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